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Guillain‑Barré Syndrome (GBS)




🧠 GBS क्या है?

Guillain‑Barré Syndrome (GBS) एक दुर्लभ स्व‑प्रतिरक्षित तंत्रिका विकार है जिसमें शरीर की रोग‑प्रतिरोधक प्रणाली अपनी ही तंत्रिकाओं को नुकसान पहुँचाती है। इसके परिणामस्वरूप कमजोरी, सुसूचना (tingling), पैरालिसिस और गंभीर मामलों में श्वसन प्रणाली प्रभावित होती है ।

मुख्य लक्षण:

  • पैरों या बाहों में कमजोरी और एड़ी से चढ़ती हुई लकवा (ascending paralysis)

  • झुनझुनी, सुन्नपन, मांसपेशीय वेदना

  • गंभीर मामलों में सांस लेने, बोलने और निगलने में तकलीफ़


🎯 छात्र वर्ग में क्यों चिंता?

  • छात्र समुदाय संक्रमित पानी, वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे Campylobacter jejuni, नोरवायरस) के कारण GBS के उच्च जोखिम में हैं ।

  • पुणे, कोलकाता, नागपुर जैसे शहरों में विद्यार्थियों या नौजवानों में GBS के मामले सामने आए हैं, जिसमें कई ICU में भर्ती और जीवन‑संरक्षक देखभाल की आवश्यकता पड़ी ।

  • भारत में जनवरी‑मार्च 2025 में पुणे में लगभग 230 मामले रिपोर्ट हुए, जिनमें कुछ छात्र भी शामिल थे ।


📍 कारण क्या हैं?

  1. Post‑infection autoimmune प्रतिक्रियाएं
    GBS अक्सर वायरल/बैक्टीरियल संक्रमण जैसे फ्लू, गैस्ट्रोएंटेराइटिस आदि के 2‑4 सप्ताह बाद होती है ।

  2. पानी और पर्यावरण दूषण
    पुणे में सीवर पानी और पीने के पानी का मिलना, पानी में Campylobacter और नोरवायरस पाए जाना संभावित कारण रहे ।

  3. बाहरी कारक
    Zika, EBV जैसी वायरल बीमारियाँ भी ट्रिगर कर सकती हैं—भारत में जल संचरण की समस्या GBS के मामले बढ़ाने में योगदान दे सकती है ।


🛡️ छात्रों को क्या सावधानियाँ अपनानी चाहिए?

  • सफ़ीद पानी ही पीएँ
    उबला हुआ या बोतलबंद पानी पियें ।

  • स्वच्छ भोजन
    अच्छी तरह पका हुआ खाना खाएँ, कच्चा चिकन, अंडा, सलाद आदि से बचें, फल‑सब्ज़ी अच्छी तरह धोकर खाएँ ।

  • व्यक्तिगत स्वच्छता
    भोजन से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ साबुन से धोना जरूरी है ।

  • संकेतों की पहचान करें
    झुनझुनी, कमजोरी महसूस हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें; देर करने पर हालत गंभीर हो सकती है।


🏥 इलाज और स्वास्थ्य सेवाएँ

  • प्लाज्मा कोरक्शन (plasmapheresis) और IVIG
    ये GBS उपचार के दो प्रमुख तरीके हैं और कुछ मरीजों में तेजी से सुधार लाते हैं ।

  • बेहद जरूरी देखभाल
    कुछ मामलों में ICU में वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता होती है—पुणे में एक 7‑साल बच्चे को 62 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन वो पूरी तरह ठीक हो गया ।

  • शारीरिक पुनर्वास
    लंबी हॉस्पिटलाइज़ेशन के बाद मरीजों को फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है—सही समय पर शुरू किए जाने पर रिकवरी बेहतर होती है ।


🌐 प्रबंधन: सरकार और विद्यालयों की भूमिका

  • सक्रिय निगरानी (surveillance)
    महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश सरकारों ने GBS नियंत्रण के लिए शुरुआत की है—WHO‑निर्देशों के अनुसार एक्टिव केस सर्च और प्रतिक्रिया टीमें सक्रिय हैं ।

  • पानी की गुणवत्ता सुधार
    RO सिस्टम, जल स्रोतों की नियमित सफाई और परीक्षण पर ज़ोर दिया जा रहा है ।

  • स्कूल और कॉलेजों में जागरूकता
    स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा मंत्रालय मिलकर संस्थानों में GBS पर शिक्षाप्रसार कर सकते हैं—संकेतों को समय पर पहचानना सुचारू रिकवरी के लिए महत्वपूर्ण है।


📝 निष्कर्ष: छात्रों के लिए संदेश

GBS दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है। हालांकि यह व्यक्ति‑व्यक्ति में नहीं फैलती, लेकिन संक्रमित भोजन, दूषित पानी या वायरल संक्रमण के बाद हो सकती है। समय पर लक्षणों की पहचान, उचित इलाज और साफ‑सफाई से संक्रमण से बचाव संभव है। छात्रों को जागरूक रहना होगा—झुनझुनी या कमजोरी महसूस हुई, तो खुद or अपनों को तुरंत डॉक्टर से मिलाएँ।

स्वस्थ रहिए, जागरूक रहिए, सुरक्षित रहिए। 🙏

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