🚀 G7 Summit 2025: टेक्नोलॉजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और AI के युग में नई पहल
🚀 G7 Summit 2025: टेक्नोलॉजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और AI के युग में नई पहल
51वां G7 शिखर सम्मेलन (16–17 जून 2025, Kananaskis, Canada) एक ऐसा मंच रहा जहाँ तकनीक, ऊर्जा सुरक्षा और क्लाइमेट साइंटिफिक इनोवेशन पर गहराई से विचार-विमर्श हुआ । इस ब्लॉग में हम विस्तार से देखेंगे कि इस साल G7 ने उच्च तकनीकी रणनीतियों पर क्या ठोस निर्णय लिए, ये क्यों मायने रखते हैं, और उनका वैश्विक—विशेषकर भारत समेत विकासशील देशों—पर क्या असर हो सकता है।
1. तकनीकी एजेंडा पर सामूहिक संकल्प
a) Artificial Intelligence (AI) Governance
G7 नेताओं ने AI के लिए एक्शन प्लान और गाइडिंग प्रिंसिपल्स पर सहमति व्यक्त की, जिसमें मानव‑केंद्रित डिज़ाइन, पारदर्शिता, जोखिम‑आधारित घटनाओं का प्रत्युत्तर और सफ़ल लाइफ साइकल गवर्नेंस शामिल है ।
इसका सीधा असर टेक्नोलॉजी कंपनियों, नीति निर्धारकों और R&D संस्थानों पर पड़ेगा ताकी वे गैर-आदर्श उपयोग (e.g. deep-fakes, ऑटोनॉमस हथियार) को नियंत्रित कर सकें।
b) Quantum Computing & Semiconductors
सम्मेलन में क्वांटम कंप्यूटिंग को वैश्विक तकनीकी महत्व का दर्जा दिया गया, और G7 ने सेमीकंडक्टर उत्पादन में प्रतिस्पर्धा और गैर‑कानूनी व्यापार कार्यों के खिलाफ एकजुट होने का फैसला किया ।
यह निर्णय खासकर यूएस‑चीन तकनीकी प्रतिस्पर्धा, यूरोपीय स्वायत्तता और ग्लोबल कमी श्रृंखलाओं को सुनिश्चित करने के नजरिये से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
c) Cybersecurity & Digital Resilience
G7 साइंस मंत्रियों द्वारा 2024 में जारी बयान (Bologna, July 2024) के अनुसार, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सुरक्षा और ओपन साइंस में सहयोग को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई ।
साथ ही, वित्त और बैंकिंग प्रणाली में तीसरे पक्ष (third party) साइबर जोखिम प्रबंधन को मजबूत करना भी महत्वपूर्ण था ।
2. क्लीन एनर्जी और स्टोरेज टेक्नोलॉजी में निवेश
a) Energy Storage Expansion
G7 देश 2030 तक बिजली स्टोरेज को 1,500 GW तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित कर चुके हैं—जो 2022 के 230 GW की तुलना में 6 गुना अधिक है ।
यह बैटरियों, हाइड्रोजन और जल-स्टोरेज पर आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर है। इस कदम से नवीकरणीय ऊर्जा (wind/solar) की निर्भरता बनी रहेगी और लोड-बैलेंसिंग संभव होगी, जिससे ग्रिड की स्थिरता बनी रहती है।
b) Clean Energy Projects & Partnerships
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G7 ने अफ्रीका में क्लीन एनर्जी फंडिंग बढ़ाने का नया मील का रास्ता बताया—Energy for Growth in Africa इनीशिएटिव ।
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इसके साथ, अफ्रीका में स्टोरेज और क्लीन टेक्नोलॉजी में $600 अरब निवेश का प्रस्ताव—Partnership for Global Infrastructure and Investment (PGII) के तहत ।
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साथ ही, coal phase‑out पर 2035 तक की समय-सीमा, LNG सपोर्ट और गैस की ओर संक्रमण को भी प्रस्तावित किया गया ।
3. Infrastructure Corridors: IMEC, Lobito, Luzon
G7 ने Quality Infrastructure में कई प्रोजेक्ट्स को समर्थन दिया:
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India‑Middle East‑Europe Economic Corridor (IMEC): रेल, सड़क, शिपिंग, हाइड्रोजन पाइपलाइन और हाई-स्पीड डेटा केबल के जरिए एशिया, मध्य-पूर्व और यूरोप को जोड़ने की योजना ।
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Lobito Corridor, Luzon Corridor, Middle Corridor: ये सभी व्यापार और ट्रांजिट को सुचारु करने वाले दक्षिणी अफ्रीका तक फैले कनेक्टिविटी नेटवर्क हैं ।
ये उपाय BRI जैसे चीन के विश्वव्यापी कॉरिडोर प्लान्स को रणनीतिक विकल्प प्रदान करते हैं।
4. Critical Minerals: Supply Chain Security
ऑस्ट्रेलिया के PM Anthony Albanese ने G7 में जोर देकर कहा कि criticial minerals का नियंत्रण कुछ ही देश के हाथों में नहीं होना चाहिए ।
इसके बाद G7 ने एक Critical Minerals Action Plan पर हस्ताक्षर किए, जिससे सप्लाई चेन विविध और सुरक्षित हो सके ।
ये निर्णय electric vehicle, renewable infrastructure, semiconductors और बैटरियों के लिए बेसिक कच्चे माल सुनिश्चित करता है।
5. India की भूमिका और वैश्विक South के लिए आवाज़
a) PM Modi की Tech Outreach
G7 के Outreach session में PM न्यायपूर्ण AI और तकनीकी मोनोपोली के खात्मे पर जोर दे रहे थे:
“We must make technology creative, not destructive...”
यह Global South को टेक्नोलॉजी में भागीदारी का न्यौता है—जहाँ भारत अपनी AI मिशन, Net-zero 2070 प्लान और inclusive development को जोड़कर बात करता है।
b) IMEC में भारत की भागीदारी
IMEC को सपोर्ट देने में G7 ने भारत को भी प्रमुख रूप से सम्मानित किया—जो India‑Middle East‑Europe corridor की परिकल्पना में भारत की भूमिका को दर्शाता है ।
6. सुरक्षा, महामारी, और जैव टेक में वैश्विक सहयोग
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G7 साइंस अकादमीज़ ने AI, climate-health, data security जैसे मसलों पर दो संयुक्त बयान जारी किए ।
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इसके अतिरिक्त science ministers (2024 में Bologna meeting) द्वारा open science, diversity, research integrity और Ukraine के पुनर्निर्माण में सहयोग पर बल दिया गया ।
इस साझेदारी से आगामी παν-Global research infrastructure और pandemic preparedness को बल मिलेगा।
7. राजनीतिक चुनौतियाँ और सीमाएं
a) Trump की Part Withdrawal
Trump ने Summit को बीच में छोड़ दिया (Israel‑Iran वि नाराजगी एवं U.S. घरेलू सुरक्षा स्थिति की वजह से) ।
जिसके कारण Ukraine‑related strong collective statement नहीं बना सके, हालांकि Canada ने C$2 बिलियन की गैर-यूएस सहायता दी ।
b) अंतर–आलोचनाएँ
कुछ देशों ने G7 को “rather useless” तक कह डाला, जो नेतृत्व और निष्पक्ष सहमति की कमी को दर्शाता है ।
यह दर्शाता है कि राजनीतिक अस्थिरता कई वैश्विक तकनीकी और क्लाइमेट समझौतों को सीमित कर सकती है।
8. G7 का टेक‑फ्यूचर: आगे की राह
क्षेत्र | आगे की दिशा |
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AI | Code of Conduct को विस्तार देना, cross-border regulation, ethical audits |
Quantum & Semis | उत्पादन क्षमता विकसित करना, supply chain transparency |
Grid Storage | बैटरी, हाइड्रोजन और जल स्रोतों में निवेश बढ़ाना |
Infrastructure | PGII और IMEC के वास्तविक कार्यान्वयन की समय-सीमा तय करना |
Science Collaboration | विश्वस्तरीय रिसर्च नेटवर्क, pandemic surveillance, climate-health modeling |
साथ ही, South‑North साझेदारी पर ध्यान देने से विकसित देशों की जगह तकनीक में न्यायसंगत हिस्सेदारी सुनिश्चित होगी।
9. भारत—G7 सहयोग के लाभ
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AI & Ethics: भारत अपनी पूर्ण AI नीति (Transparency, Accountability) को G7 मॉडल प्लान में जोड़ सकता है।
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Critical Minerals & Supply Chain: ऑस्ट्रेलिया‑कनाडा के साथ संयुक्त चश्मे बनाए, ताकि EV बैटरी कच्चा माल का भरोसा बढ़े।
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IMEC फायदे: भारत‑यूरोप‑मध्य पूर्व कनेक्टिविटी और आर्थिक सहयोग को मजबूती मिलेगी।
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702 बिलियन निवेश: PGII से संभावित क्लीन एनर्जी योजनाओं में बड़ी राशि की संभावना है।
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Science & Health: G7‑Science अकादमीज़ के ज़रिए भारत global research collaboration में आगे जा सकता है।
10. निष्कर्ष: G7—एक "टेक्नोलॉजी क्लब"?
G7 2025 ने दिखाया कि अब यह केवल आर्थिक या रक्षा मोर्चा नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी मोर्चा भी बन चुका है—जहाँ AI, क्वांटम, क्लीन एनर्जी और वैश्विक सप्लाई चैन पॉलिसीज़ पर निर्णय लिए जा रहे हैं।
हालांकि राजनीतिक अंतराल (जैसे Trump की प्रस्थान) और कड़े राष्ट्रवादी रवैये प्रक्रियाओं को चुनौती देते हैं, फिर भी टेक्नोलॉजी आधारित अंतरराष्ट्रीय समझौतों का दौर शुरु हो चुका है।
विशेष रूप से India जैसे Global South देश इस मौक़े को न्यायपूर्ण विकास के लिए उपयोग में ला सकते हैं—जहाँ तकनीक सिर्फ बड़े राष्ट्रों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि सामाजिक उत्थान, अर्थव्यवस्था और विज्ञान‑स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी इसे न्यायसंगत रूप से वितरित किया जाए।
➕ अंतिम सुझाव
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नीति निर्माताओं को इस ब्लॉग में बताए गए टेक्नोलॉजी फ्रेमवर्क (AI ethics, supply‑chain regulation) पर काम करना चाहिए।
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स्टार्ट‑अप व रिसर्च कम्युनिटी Open standards और cross-border cooperation बढ़ाएं—विशेषकर Post-2025 infrastructure मॉडल्स में।
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नागरिक और युवा वर्ग को जागरूकता बढ़ानी चाहिए कि G7 टेक अगेंडा कैसे देश के डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है।
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